माध्यमिक शिक्षा महकमे में जिन प्रवक्ताओं पर पढ़ाई कराने का जिम्मा है, वे छह माह से शिक्षा निदेशालय में तैनाती मिलने की राह देख रहे
ये नए चयनित भी नहीं हैं कि उनका सत्यापन होना हो, बल्कि वर्षो से दूसरे संस्थानों में संबद्ध रहे हैं। अब उन्हें मूल पदों पर वापस जाना है। जिस अफसर को उन्हें वापस भेजने का दायित्व मिला है, उसे फिलहाल अधिकार नहीं है। उनकी पत्रवली शिक्षा निदेशक माध्यमिक के यहां लंबित है।
राजकीय इंटर कालेजों में नियुक्त प्रवक्ताओं को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उप्र (एससीईआरटी) व उसके नियंत्रण वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और अन्य संस्थानों में संबद्ध किया गया था। प्रवक्ता वहां इसलिए भेजे गए, क्योंकि उप्र लोकसेवा आयोग में डायट प्रवक्ताओं का चयन लंबित था। प्रवक्ता एससीईआरटी व उनके नियंत्रण वाले संस्थानों में कई साल से शिक्षण कार्य कर रहे थे। उप्र लोकसेवा आयोग ने डायट प्रवक्ताओं का चयन तेज किया तो संबद्ध प्रवक्ताओं को उनके मूल पदों पर भेजने का आदेश हुआ।
शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने तीन जनवरी को शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय को पत्र भेजकर प्रवक्ताओं को वापस भेजने को कहा। आठ जनवरी को अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक डा. महेंद्र देव ने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को आदेश दिया कि उप्र अधीनस्थ शैक्षणिक सेवा प्रवक्ता संवर्ग महिला व पुरुष शाखा के प्रवक्ताओं को एससीईआरटी व उसके नियंत्रण वाली इकाइयों से उनके मूल पदों (राजकीय इंटर व बालिका इंटर कालेजों) में पदस्थापित करना है। सभी से उनके मंडल में कार्यरत ऐसे प्रवक्ताओं की सूची 10 जनवरी तक मांगी गई।
करीब 200 से अधिक प्रवक्ताओं को मूल पद पर भेजने का मामला अब शिक्षा निदेशालय में लटका है। वजह यह है कि भले ही एडी माध्यमिक ने मंडलों से सूची तलब की लेकिन, मूल पद पर भेजने का जिम्मा एडी राजकीय का है। एडी राजकीय को यह कार्य करने के लिए अभी नियमावली में संशोधन नहीं हुआ है। इसलिए प्रवक्ताओं की पत्रवली शिक्षा निदेशक माध्यमिक के यहां लंबित है।