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02 July 2020

विदेश जाने वाले करीब एक लाख छात्रों को अब देश में ही पढ़ाने की तैयारी, जानें क्‍या हो रहा है बदलाव

विदेश जाने वाले करीब एक लाख छात्रों को अब देश में ही पढ़ाने की तैयारी, जानें क्‍या हो रहा है बदलाव


कोरोना संकट की चुनौतियों के बीच कुछ नई उम्मीदें भी जगी है। इनमें ही उच्च शिक्षा के लिए हर साल विदेशों को होने वाला पलायन भी है। जिसे पिछले कई सालों से चाहकर भी सरकार नहीं रोक पा रही है, लेकिन कोरोना काल ने इसकी राह आसान की है। सरकार भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए पूरी ताकत से जुटी हुई है। इसके तहत चालू शैक्षणिक सत्र में ही विदेश जाने वाले करीब एक लाख छात्रों को देश में रोकने की योजना बनाई है। साथ ही इसे लेकर नए-नए कोर्स शुरू करने से लेकर आकर्षक पैकेज तैयार करने का काम भी तेजी से चल रहा है।

चालू शैक्षणिक सत्र में करीब एक लाख छात्रों को रोकने का लक्ष्य
मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश से हर साल करीब सात लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में जाते है। जहां पढ़ाई पर हर साल वह करीब एक लाख करोड़ खर्च करते है। वहीं पढ़ाई के बाद इनमें से ज्यादा छात्र वहीं जॉब भी हासिल कर लेते है। ऐसे में उनकी प्रतिभा का पूरा फायदा दूसरे देश को मिलता है। इसके चलते देश को प्रतिभा और पैसे दोनों ही मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ता है। कोरोना संकटकाल में मंत्रालय के भीतर इन छात्रों को रोकने की कवायद तब जोर पकड़ी, जब विदेशों में पढ़ाई की योजना बनाए बैठे छात्रों और उनके अभिभावकों ने मंत्रालय से संपर्क कर देश में ही बेहतर पाठ्यक्रम और मौके उपलब्ध कराने की मांग की।

नए पैकेज को घोषित कर सकती है सरकार
सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने इसके बाद तुंरत ही सकारात्मक रूख दिखाते हुए जेईई मेंस और नीट जैसी परीक्षा के आवेदन की समयसीमा को बढाया था। जिसके बाद डेढ़ लाख से ज्यादा छात्रों के नए आवेदन आए हैं। माना जा रहा है कि यह सारे ऐसे ही छात्र है, जो विदेशों के बजाय अब देश में पढ़ना चाहते है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में सरकार विदेशों में पढ़ाई के लिए कराए गए रजिस्ट्रेशन को रद्द कराने वाले छात्रों को लेकर कुछ और नए पैकेज भी घोषित कर सकती है

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