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17 July 2020

69000 SHIKSHAK BHARTI: सुप्रीम कोर्ट में पर अपीयरेंस फीस ली जाती है:- बस अगर आपका केस टेक अप हुआ और आपका वकील अपीयर हुआ है तो आपकी फीस गई

69000 SHIKSHAK BHARTI: सुप्रीम कोर्ट में पर अपीयरेंस फीस ली जाती है:- बस अगर आपका केस टेक अप हुआ और आपका वकील अपीयर हुआ है तो आपकी फीस गई


सुप्रीम कोर्ट में पर अपीयरेंस फीस ली जाती है

अगर एडवोकेट आपके मामले में अपीयर हो गए तो आपकी फीस गई भले मैटर 2 मिनट चले या पूरे दिन भले आपका एडवोकेट 2 शब्द बोल पाए या नही

बस अगर आपका केस टेक अप हुआ और आपका वकील अपीयर हुआ है तो आपकी फीस गई

*सुप्रीम कोर्ट में हर डेट अंतिम डेट मान कर मुकदमा लड़ा जाता है और जो लीगल टीम आपको लीड करती है वो कोई भगवान तो है नही कि उसे पता होता है कि आज उनका एडवोकेट बोल पायेगा या नही सपोज करिये कि आपके पैरवीकर्ता कोई वकील लेकर ना जाये और मैटर उस दिन ही फाइनल हो जाये तो क्या करोगे ??
फिर भी आप लीगल टीम को दोषी ठहराओगे जो लोग पैरवी करते है उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है सोशल मीडिया पर लिखना/बोलना बहुत आसान है जबकि जो टीम आपको लीड करती है उसे आपको भी संतुष्ट करना होता है और पैरबी भी और ब्रीफिंग की तैयारी भी करनी होती है क्योंकि वकीलों के साथ क्लाइंट को भी मेहनत करनी होती है

*सुप्रीम कोर्ट में हर डेट को अंतिम डेट मान कर लड़िये तभी जीत सम्भव है हमारा 5 वर्ष से अधिक का सुप्रीम कोर्ट में लड़ने का अनुभव है कई बार ऐसा होता है कि केस 5 मिनट के लिए टेक अप हुआ और आपकी फीस गई और कभी कभी आपका वकील कुछ बोल भी नही पाता और अगली डेट लग जाती है लेकिन फीस तो गई*

हमारे साथ तो कई बार ऐसा हुआ कि 3.55पर मैटर टेक अप हुआ 5 मिनट के बाद अगली डेट लग गई तो फीस तो चली ही गई

Akhilesh Shukla भाई को मैं 2013 से जानता हूँ ये बहुत मेहनती व्यक्ति है और इनके जज्बे और समर्पण का कारण ही सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे आये थे वरना 2012 से आज तक कोई बीएड/बीटीसी वाला हरीश साल्वे जी को अपीयर नही करा पाया

*एक बार टेट अपीयरिंग केस में हम लोग भी सीनियर एडवोकेट सी ए सुन्दरम को लेकर गए 5 मिनट सुनबाई हुई वह एक शब्द नही बोल पाए और फीस गई तो इसमें लीगल टीम की कमी नही है
ये सुप्रीम कोर्ट के सीनियर का रूल है कि केस में अपीयर हो गए तो उनकी फीस हो गई

इसलिए ये बात सभी को समझनी ही चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हर सुनवाई फीस चार्ज करते है.

विजेंद्र कश्यप की कलम से

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