Latest Updates|Recent Posts👇

21 May 2020

69000 SHIKSHAK BHARTI मामले में यूपी सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

69000 SHIKSHAK BHARTI मामले में यूपी सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब


यूपी में 69000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में अब एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार व अन्‍य को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार को 6 जुलाई से पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में 69000 शिक्षकों की भर्ती को चुनौती देने वाली शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार बताए कि उसने भर्ती के लिए 45 फीसद सामान्य और आरक्षित के लिए 40 फीसदी के आधार को क्यों बदला.

इसी के साथ कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षामित्र जो सहायक शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं उनको छेड़ा न जाए. कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार को  6 जुलाई तक चार्ट के जरिए भर्ती के सारे चरण और डिटेल बतानी होंगी.

इससे पहले आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की याचिका को यह कहते हुए खारिज करने का आदेश दे दिया था कि कोर्ट इससे सहमत नहीं है. हालांकि वकील बार-बार दलील देते रहे और कहते रहे कि यह मामला बेहद जरूरी है और इसे सुना जाना चाहिए. कोर्ट ने वकीलों की बात मानी और उनकी दलीलें सुनने के बाद अब यूपी सरकार को नोटिस जारी कर दिया है.

याचिकाकर्ता शिक्षामित्रों की ओर से दलीलें देते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, "सिंगल जज बेंच ने हमारे दावे के समर्थन में निर्णय दिया था, लेकिन डिविजन बेंच ने हमारा पक्ष पूरी तरह नहीं सुना. मसला हमारे कॉन्ट्रैक्ट के रिन्युअल को लेकर भी है और नियुक्ति की प्रक्रिया में लगातार किया बदलाव भी मुद्दा है."

जस्टिस यू यू ललित ने पूछा कि कितने शिक्षामित्र नियुक्त हुए थे? इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा, "30 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई और फिर सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय 69000 प्राथमिक शिक्षकों की नई भर्ती निकाली. साथ ही परीक्षा के बाद नया कटऑफ भी तय किया."

जस्टिस यू यू ललित ने यह भी जानना चाहा कि क्‍या कटऑफ विज्ञापन का हिस्सा था? इस पर याचिकाकर्ता शिक्षामित्रों के वकील रोहतगी ने कहा, "नहीं. 7 जनवरी 2019 को इम्तिहान होने के बाद न्यूनतम कटऑफ 60 और 65 फीसदी तय किय गया, जबकि शिक्षा मित्र के लिए ये 40 और 45 फीसद था. शिक्षामित्रों को बहुत कम वेतन मिल रहा है."

इस दलील पर जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आप चाहते हैं कि 45 फीसदी सामान्य के लिए और 40 फीसदी कटऑफ आरक्षित वर्ग के लिए होनी चाहिए. इस पर रोहतगी ने कहा, "जी. 40-45 फीसदी होने से ज्‍यादा लोगों के पास मौका होगा."

आपको बता दें कि इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है, जहां उसने एक कैविएट दाखिल कर कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट बिना उसे सुने कोई आदेश जारी न करे.

क्‍या है मामला?
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है. यह भर्ती कटऑफ अंकों के विवाद के कारण अधर में लटकी पड़ी थी.
कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही ठहराया और पूरी भर्ती प्रक्रिया तीन माह के भीतर पूरी करने का आदेश दिया है.

बेंच ने यूपी सरकार द्वारा तय किए गए 150 अंकों में सामान्य को 97 और आरक्षित वर्ग को 90 अंक लाने पर मुहर लगाई है और आदेश दिया कि तीन महीने के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाए.

इस आदेश के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 65 फीसदी और अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी 60 फीसदी अंक पाकर ही पास माने जाएंगे. आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीएम योगी ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को 1 हफ्ते के अंदर निपटाने के आदेश दिए हैं.

69000 SHIKSHAK BHARTI मामले में यूपी सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब Rating: 4.5 Diposkan Oleh: news