हम न तो किसी के विरोध में हैं और न किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी रखते हैं। हमारी बस इतनी सी बात है कि
"नियमों और अधिकार की लड़ाई: हमारी याचिकाएँ और सच्चाई – हिमांशु राणा"
जितना किसी के पास ज्ञान और समझ होती है, वह उतनी ही बातें करता है।
हम अपनी लड़ाई नियमों और अपने अधिकार के आधार पर लड़ रहे हैं, न कि किसी के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से।
हमारी दो याचिकाएँ हैं:
1. पदोन्नति से संबंधित याचिका (Writ A 523/2024 – Himanshu Rana & others Vs Union of India & others):
यह याचिका पिछले वर्ष दायर की गई थी। इसमें हमने यह कहा है कि NCTE (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद), जिसे न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय करने का अधिकार है और जिसे केंद्र सरकार ने शिक्षा अधिनियम की धारा 23 के तहत शक्तियाँ भी दी हैं, उसके नियमानुसार पदोन्नति में TET परीक्षा अनिवार्य है। शिक्षा मंत्री भी दो बार इस याचिका का विधान सभा में जिक्र किये हैं | सुप्रीम कोर्ट ने भी अब इस पर मुहर लगा दी है।
2. समायोजन को ध्वस्त करने की याचिका (Writ A 10581/2025 – Avesh Vikram Singh & others Vs State of UP & others):
सरकार द्वारा गलत तरीके से हमारे पदोन्नति के पदों को समाप्त कर दिया गया। बिना न्यूनतम योग्यता और बिना NCTE द्वारा निर्धारित TET परीक्षा के नियमों के पालन के, प्राथमिक के हेड टीचर को जूनियर में सहायक बना दिया गया। हम petition में prayer कर रहे हैं कि ऐसे अन्यायपूर्ण आदेशों को निरस्त किया जाए।
साथ ही RTE एक्ट के अनुपालन में जो विद्यालय एकल हो गए हैं, उन्हें इस तरह अलग नहीं किया जाना चाहिए।
इस याचिका में उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के भविष्य के लिए समग्र दृष्टि अपनाई गई है, जो आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम देगा।
हम न तो किसी के विरोध में हैं और न किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी रखते हैं। हमारी बस इतनी सी बात है कि जो नियमों के अनुसार वैध है, उसका हक उसे मिले। हर व्यक्ति अपनी लड़ाई स्वयं लड़ता है, हम भी अपनी लड़ाई शुरू से लड़ रहे हैं और अंत तक लड़ेंगे, चाहे इसके लिए हमें दिल्ली तक जाना पड़े।
जिसे जो समझना है, समझे। हम किसी और के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। लोकतंत्र में सबको लड़ने का अधिकार है और हम भी अपने अधिकार के लिए शांतिपूर्वक लड़ रहे हैं।
किसी का उपहास न करें। वास्तविकता बताइए और सच्चे तथ्यों के आधार पर ही बात कीजिए
#rana