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27 May 2022

सरकारी स्कूल पर अंगुली उठाने वाले लोग कभी सोचे है कि

 सरकारी स्कूल पर अंगुली उठाने वाले लोग कभी सोचे है कि

सरकारी स्कूल पर अंगुली उठाने वाले लोग कभी सोचे है कि सरकारी स्कूल में जाने वाले बच्चों के अभिभावक कभी बच्चे को स्कूल छोड़ने गए हो, कभी चिंता किये हो कि उनका बच्चा स्कूल जा भी रहा है या नही? कभी समय का ध्यान रहा हो कि बच्चा स्कूल लेट हो गया है? कभी चिंता करते है कि बच्चे के पास कलम, कॉपी, किताब है भी या नही?  कभी चिंता करते है कि स्कूल का मिला गृह कार्य किया है या नही? कभी चिंता करते है कि आज बच्चा कुछ सीखा है या नही? कभी स्कूल में सिखाये गए कार्य को दोहरवाये है? जवाब होगा नही। लेकिन वही बच्चा प्राइवेट स्कूल में नामांकित होता है तो धारणाये बदल जाती है। बच्चे से पहले उठना, उसके नास्ते, बस्ता, की चिंता शुरू कर देते है। समय से स्कूल पहुचाते है भले वे स्वयं अपने कार्य को लेट हो जाये। स्कूल से आते ही गृह कार्य बनवाने और याद करवाने में लग जाते है। उनके एक एक छोटी चीज की चिंता होने लगती है। जबकि यह सत्य है कि सरकारी विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षक, TET/CTET/दक्षता उतीर्ण करके शिक्षा शास्त्र की जानकारी रखने वाले योग्य शिक्षक है। फिर भी अंगुली सरकारी शिक्षकों पर ही उठाएंगे। दुनिया में कोई है जो 4.97 पैसे में एक बच्चे को भोजन करा दे। एक दिन बारात में 200 लोगो के भोजन के लिए 3 महीने पहले से व्यवस्थाये शुरू हो जाती है। लेकिन विद्यालयों में प्रतिदिन 200 से 1000 बच्चे को पढ़ाने के अलावा भोजन भी कराया जाता है। कही संभव है? विद्यालय के आधे शिक्षक तो सरकार के लिए आंकड़े जुटाने में लगे रहते है। फिर भी सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है और लक्ष्य तक नही पहुचने या विरोध करने पर बलि का बकरा बना देती है। समाज को चिंतन करने की आवश्यकता है कि विद्यालय समाज के अंदर है या बाहर? विद्यालय से लाभ के अपेक्षा रखने के जगह विद्यालय के विकास में भागीदार बनने की आवश्यकता है।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


 

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