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20 October 2021

विगत 6-7 महीनों से रसोइयों को मानदेय नहीं मिला, मात्र ₹50 एक दिन के हिसाब से रसोईया को मानदेय मिलता है, महंगाई के दौर में ₹50 में क्या मिलता है

 विगत 6-7 महीनों से रसोइयों को मानदेय नहीं मिला, मात्र ₹50 एक दिन के हिसाब से रसोईया को मानदेय मिलता है, महंगाई के दौर में ₹50 में क्या मिलता है

विद्यालय में मध्यान्ह भोजन में दिए गए मीनू के अनुसार ही भोजन बनाना पड़ता है। रसोईया वही भोजन बनाते हैं जो उनको सामग्री मिलती है। अब वीडियो देखकर कौन सा पौष्टिक भोजन बन जाएगा यह बात समझ से परे।
हालांकि बात ये नहीं, अब आते हैं मूल मुद्दे पर विगत 6-7 महीनों से रसोइयों को मानदेय नहीं मिला और ऐसे में हम उनको वीडियो दिखाकर यह कहे कि खाना पौष्टिक नहीं बनाते हो इससे ज्यादा बेशर्मी और शर्मनाक बात दूसरी नहीं हो सकती है।
पहले ₹1000 महीना बाद में 1500 महीना कहने का मतलब है, मात्र ₹50 एक दिन के हिसाब से रसोईया कम से कम विद्यालय में 4 से 5 घंटे तो रहते ही हैं साहब इतने महंगाई के दौर में ₹50 में क्या मिलता है। ऊपर से जब विद्यालय जाओ तो एक लाचार और बेबस भरी नजरों से रसोईया आपकी तरफ देखते हैं ,और पूछते हैं साहब हम लोगों के पैसे का भी कुछ पता चला कि नहीं हमें हमारा पैसा मिलेगा कि नहीं।
इस पर कोई जवाब नहीं होता है सिर्फ एक शब्द होता है उम्मीद है आएगा यही कह कर के उनको सिर्फ दिलासा दी जाती है।


 

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