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20 September 2021

मध्याहन भोजन में लापरवाही के मामले थम नहीं रहे, बच्चों को उठानी पड़ रही परेशानी, खराब खाने पर बिठा दी जाती है जांच, नहीं आती रिपोर्ट

 मध्याहन भोजन में लापरवाही के मामले थम नहीं रहे, बच्चों को उठानी पड़ रही परेशानी, खराब खाने पर बिठा दी जाती है जांच, नहीं आती रिपोर्ट


कभी एक किलो चावल में 32 बच्चों को खाना, कभी प्लेट से दूध गायब तो कभी फल, कभी बासी भोजन खाने से बच्चों के बीमार होने से लेकर मौत होनेतक। ये कुछ ऐसी घटनाएं है, जो परिषदीय विद्यालयों पढ़ने वाले बच्चों को मिलने वाले मध्याहन भोजन से जुड़ी हैं, वाराणसी जिले के प्राथमिक विद्यालय भी इन घटनाओंसे अछूते नहीं है।

 

 मध्याहन भोजन की बात हो या फिर कोरोना काल के बाद स्कूल खुलने पर स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से बच्चों तक खाना पहुंचाने का। हर दिन उसमें एक नई गड़बड़ी मिल रही है, लेकिन इसके बाद भी विभाग के अधिकारियों के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही है। मध्याहन भोजन में गड़बड़ी कौ वजह चाहे जो हो नतीजे बच्चों को ही झेलने पड़ते हैं। शिकायत होने पर विभाग के अधिकारी सिर्फ जांच कमेटी गठित कर भूल जाते हैं। जांच पर जांच चलती है, लेकिन रिपोर्ट नहीं आ पाती।

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