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23 January 2021

यूपी के 250 सरकारी और निजी स्कूलों के 35 हजार छात्रों के बीच हुए सर्वे में महज दो फीसदी ने शिक्षक बनने की ख्वाहिश

 यूपी के 250 सरकारी और निजी स्कूलों के 35 हजार छात्रों के बीच हुए सर्वे में महज दो फीसदी ने शिक्षक बनने की ख्वाहिश

ज्यादातर छात्र शिक्षक बनना नहीं चाहते। यूपी के 250 सरकारी और निजी स्कूलों के 35 हजार छात्रों के बीच हुए सर्वे में महज दो फीसदी ने शिक्षक बनने की ख्वाहिश बताई है। जबकि डॉक्टर, इंजीनियर व सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले 85% हैं।
 


आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक और एनआईटीटीटीआर, कोलकाता के निदेशक प्रो. डीपी मिश्रा ने यह सर्वे किया है। सर्वे का बड़ा हिस्सा कोरोना से पहले का है।
उस दौरान बच्चों ने व्यवसाय के बारे में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। कोरोना के बाद सर्वे में शामिल हुए बच्चों में सरकारी नौकरी की चाह दिखाई दी। लॉकडाउन और कोरोना त्रासदी के बीच चरमराए व्यापार का असर छात्रों के सोच-विचार पर भी पड़ा।

बता दें कि प्रो. डीपी मिश्रा ने ही स्पेस क्राफ्ट के लिए ग्रीन ईंधन की खोज की है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2019 से दिसंबर 2020 के बीच सरकारी व निजी स्कूलों पर सर्वे किया गया। ज्यादातर छात्रों ने कहा कि वे इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बन पाए तो शिक्षक बनने की कोशिश करेंगे।

सूरत-ए-हाल

30 फीसदी छात्रों में इंजीनियर बनने की चाह, 25% चाहते हैं डॉक्टर बनना 30 फीसदी का सपना सरकारी नौकरी, 10% छात्र व्यवसाय करने के इच्छुक 03 फीसदी छात्र-छात्राओं ने ही अन्य विकल्प बताए


'यह कमी समाज की

प्रो. मिश्रा ने कहा कि इस हालात के पीछे की वजह परिवार व समाज हैं। बच्चों को सिर्फ इंजीनियर, डॉक्टर, प्रशासनिक सेवा, अन्य सरकारी नौकरी के महत्व के बारे में ही बताया जाता है। उन्हें शिक्षक बेहतर विकल्प नहीं लगता!

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