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20 May 2020

69000 शिक्षक भर्ती में गरीब सवर्ण आरक्षण न देने का आरोप, 10 फीसदी आरक्षण की मांग, इसके लिए अभ्यर्थी कोर्ट जाने की कर रहे तैयारी मे

69000 शिक्षक भर्ती में गरीब सवर्ण आरक्षण न देने का आरोप, 10 फीसदी आरक्षण की मांग, इसके लिए अभ्यर्थी कोर्ट जाने की कर रहे तैयारी मे


69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के अभ्यर्थी ईडब्लूएस ( आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए निर्धारित 10 प्रतिशत आरक्षण न देने का आरोप लगा रहे हैं।उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों, जिन्होंने अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण न लिया हो, को सरकारी विभाग में होने वाली नियुक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों में निर्धारित छात्रों की सीटों पर दस प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया था।

इसके लिए विधेयक पारित कर राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद 12 जनवरी 2019 को गजट जारी करते हुए 14 जनवरी 2019 से लागू कर दिया गया। यूपी में भी इसी दिन से यह लागू किया गया। फैजाबाद के शिवम पांडेय का तर्क है कि यदि शिक्षक भर्ती परीक्षा की विज्ञापन तिथि 5 दिसंबर 2018 को ही मूल विज्ञापन की तिथि माना जाए तो अभ्यर्थियों को ईडब्लूएस वर्ग के तहत आरक्षण नहीं मिलेगा। जबकि हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने फैसले में लिखित परीक्षा को शिक्षक चयन और नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए न्यूनतम अर्हकारी परीक्षा मात्र माना है।

साथ ही स्पष्ट किया है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा, शिक्षक चयन व नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है। इस प्रकार 69 हजार शिक्षकों की चयन और नियुक्ति प्रक्रिया 18 मई 2020 से शुरू मानी जाएगी। जिसमें उत्तर प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। यदि कोटा नहीं मिला तो इसके लिए. न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। गोंडा के दुर्गेश प्रताप सिंह का कहना है कि 10 फीसदी आरक्षण अब मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आता है और राज्य सरकार ने 14 जनवरी 2019 से ही राज्य के अधीन सरकारी विभागों की नियुक्तियों व शैक्षिक संस्थानों में इसे लागू कर दिया है, जिससे गरीब लोगों को भी राज्य की सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके।

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