ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान अगर बच्चा ऑनलाइन पढ़ाई से मानसिक अयोग्य हुआ तो अपराध मानकर शिक्षकों व स्कूलों पर होगी कार्रवाई, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाएगा
बाराबंकी : ऑनलाइन पढ़ाई के प्रयासों पर सवाल खड़े हो गए हैं। डीएम आदर्श सिंह ने एक पत्र जारी कर कहा है कि यदि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान कोई बच्चा मानसिक रूप से अयोग्य हो जाता है और उसको मानसिक रोग हो जाता है तो किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाएगा। ऐसे में स्कूल और शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।
डीएम ने पत्र में कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मोबाइल ऐप के दुष्प्रभाव से बच्चों की सुरक्षा के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षकों-प्रबंधकों व विद्यालयों को उनके अभिभावकों से इसकी निगरानी करने का अनुरोध किया गया है। इस क्रम में बाराबंकी स्मार्टफोन नहीं है। वहीं दूसरी तरफ विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को ऑनलाइन पढाएं। इसकी लगातार समीक्षा भी हो रही है और कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है।
बच्चों की आंखें नाजुक होती हैं, इससे ध्यान केंद्रित करके वो हर समय मोबाइल देखा करेंगे। उनकी आंखों को नुकसान हो सकता है। इसलिए मैंने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी से मांग की थी कि ऑनलाइन शिक्षा को छोटे बच्चों पर थोपा नहीं जाए। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। बाराबंकी में कार बाजार में व्यापार करने वाले रवि नाग का कहना मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ रहे बच्चे। विद्यालयों का नोडल करते हुए उनको अवगत करवाएं। वहीं इस है कि लॉकडाउन के दौरान मैं अपनी दोनों बच्चियों को लेकर परेशान रहने लगा हूं।
अधिकारी नामित करते हुए निर्देशित किया संबंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना यह दोनों बच्चियां मोबाइल के माध्यम जाता है कि ऑनलाइन कक्षाओं की पूर्ण के समस्त बीईओ तथा समस्त प्रबंधकों निगरानी एवं उससे उत्पन्न होने वाले है कि ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर शिक्षक से पढ़ाई कर रही हैं।